मेरी कलम से लिपटे आकर, जाने किस-किस के अरमान मैं ख़ुश शायर कहला कर, आबाद रहें जिनका एहसान
बहुत बढ़िया !!
sahi baat kahi janaab waah
चंद पंक्तियों में बहुत गहरी बात कहा दी आपने ....इसे ही हुनर कहते है ....बहुत खूब ...लाजवाब
गजबै ढा दिया । काव्यात्मक जबाब नहीं बुझा रहा है ।
सहिये है जी !!टके औ कौड़ियों के फ़ायदे !!बहुत खूब :)
@अमिताभ मीत@दिलीप@E-Guru Rajeevशुक्रिया आपका, पधारने और हौसला बढ़ाने के लिए।व्यस्तता के चलते उत्तर में देर हुई, क्षमा कृपया।@राजेन्द्र मीणा भाई आपकी नई फ़ोटो बढ़िया है, उम्मीद और हौसला झलक रहा है। ज़िन्दादिली से जिएँ आप, हमारी शुभकामना लीजिए।@प्रवीण पाण्डेय चलिए, जवाब न सही, लाजवाब ही कह दीजिए। फ़िलहाल तो हमें लाजवाब कर रखा है आपने।
हिमान्शु भाई,आपकी यह काव्यात्मक अभिव्यक्ति संदेशप्रद है...लेकिन इसे ‘रुबाई’ नहीं कहा जा सकता! वस्तुतः यह एक मुक्तक/क़्त्अ है। विदित हो कि चार पंक्तियों की हर छंदोबद्ध रचना ‘रुबाई’ नहीं होती...रुबाई का मीटर (बह्र)अलग प्रकार का होता है। ख़ैर...!आपके इन चार मिसरों (पंक्तियों) का कथ्य काफी प्रेरक है...अतः बधाई!
Post a Comment
8 comments:
बहुत बढ़िया !!
sahi baat kahi janaab waah
चंद पंक्तियों में बहुत गहरी बात कहा दी आपने ....इसे ही हुनर कहते है ....बहुत खूब ...लाजवाब
गजबै ढा दिया । काव्यात्मक जबाब नहीं बुझा रहा है ।
सहिये है जी !!
टके औ कौड़ियों के फ़ायदे !!
बहुत खूब :)
@अमिताभ मीत
@दिलीप
@E-Guru Rajeev
शुक्रिया आपका, पधारने और हौसला बढ़ाने के लिए।
व्यस्तता के चलते उत्तर में देर हुई, क्षमा कृपया।
@राजेन्द्र मीणा
भाई आपकी नई फ़ोटो बढ़िया है, उम्मीद और हौसला झलक रहा है। ज़िन्दादिली से जिएँ आप, हमारी शुभकामना लीजिए।
@प्रवीण पाण्डेय
चलिए, जवाब न सही, लाजवाब ही कह दीजिए। फ़िलहाल तो हमें लाजवाब कर रखा है आपने।
हिमान्शु भाई,
आपकी यह काव्यात्मक अभिव्यक्ति संदेशप्रद है...लेकिन इसे ‘रुबाई’ नहीं कहा जा सकता! वस्तुतः यह एक मुक्तक/क़्त्अ है।
विदित हो कि चार पंक्तियों की हर छंदोबद्ध रचना ‘रुबाई’ नहीं होती...रुबाई का मीटर (बह्र)अलग प्रकार का होता है। ख़ैर...!
आपके इन चार मिसरों (पंक्तियों) का कथ्य काफी प्रेरक है...अतः बधाई!
Post a Comment