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जब कोई ग़ज़ल अच्छी लगती है तो उसी बह्र में वहीं कुछ कहने की कोशिश करता हूँ के ये टिप्पणी भी हो जाए और तोहफ़ा भी नज़राने और शुकराने के तौर पर। कभी-कभी ग़ज़ल को ला के पोस्ट भी बना देता हूँ। कितनी पुर्जियाँ तो यूँ ही पा'माल हो गईं। आप सब का शुक्रिया कि आप की बदौलत कम्प्यूटर पर लिखने से बाद में अगर चाहूँ तो कुछ बचा खुचा मिल तो जाएगा। तो मुफ़्लिस साहब की ताज़ा ग़ज़ल पर टिप्पणी -
हमने आकर अब देखा है
बह्रो-वज़्न ग़ज़ब देखा है
ग़ज़ल कुआँरे हाथों मेंहदी
रचने सा करतब देखा है
ढाई आखर पढ़ते हमने
क़ैस* सर-ए-मकतब* देखा है
शौक़ बहुत लोगों के देखे
हुनर मगर ग़ायब देखा है
टूटी खाट, पुरानी चप्पल
शायर का मन्सब* देखा है
मुफ़्लिस के अंदाज़े बयाँ में
अपना वज्हे-तरब* देखा है
जब-तब हमने सब देखा है
मत पूछो क्या अब देखा है
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सर-ए-मकतब=पाठशाला में, क़ैस=मजनूँ;
वज्हे-तरब=प्रसन्नता/आनन्द का कारण, मन्सब=जागीर, एस्टेट
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मुफ़्लिस साहब की ग़ज़लगोई पसन्द आई, सो ये टिप्पणी दे रहा हूँ। इसे ले जाकर अपनी पोस्ट भी सोचता हूँ बना दूँ के लोग देख सकें…
बहुत अच्छे, जनाब मुफ़्लिस साहब! जारी रहिए…
8 comments:
ओहो!! आहा! वाह! हर शेर बोल रहा है कि:
जब भी मोहन लिखकर लाया
शब्दों का मतलब देखा है.
-बहुत खूब!
जब-तब हमने सब देखा है
मत पूछो क्या अब देखा है
आपकी पारखी दृष्टि बनी रहे और शब्द बन बहती रहे । नहीं नहीं, छलकती रहे ।
दृष्टि छलकने को मर्यादित अर्थों में लिया जाये । कुछ और न सोचा जाये । नहीं, वो अर्थ नहीं है । अब रहने दिया जाये, काहे हमको छलकाये दे रहे हैं ।
जी यह अंदाजे बयाँ ख़ास है हर शेर में.
मुफलिस साहब से तो ब्लॉग पर मिलता रहता हूँ.
शौक़ बहुत लोगों के देखे
हुनर मगर ग़ायब देखा है
(मैं, फिलहाल हुनर तरास रहा हूँ. )
शौक़ बहुत लोगों के देखे
हुनर मगर ग़ायब देखा है
इशारा मेरी तरफ तो नहीं?!?!?!
हा हा हा....
अच्छा लिखा है!
लीजिये कुछ साधने की कोशिश कर रहा हूँ मैं भी ---
गजल-ए-मकतब में इल्म के खातिर ,
मुसलसल फिरता हूँ दीवाना सा |
यहाँ आता हूँ,ठहरता हूँ और पाता हूँ ,
मिल गया मुझको कुछ खजाना सा |
........
शौक़ बहुत लोगों के देखे
हुनर मगर ग़ायब देखा है
.........
सुन्दर हैं गजल !
हमने आकर अब देखा है
बह्रो-वज़्न ग़ज़ब देखा है
ग़ज़ल कुआँरे हाथों मेंहदी
रचने सा करतब देखा है
... बहुत अच्छी, दिल को छू गयी, वाह ! ... इन शब्दों से से ही काम चलाता हूँ लेकिन आपकी गज़लों के लिए ये शब्द छोटे पड़ रहे हैं ... फिलहाल मेरे पास तो यही हैं ... अति सुंदर !
सभी भाइयो ने बहोत बहोत अच्छा लिखा है
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