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Friday, 26 March 2010

दोहे

आज दोहों पर भी हाथ आज़माया है-

 


हरियाली व्यवहार में, मन में खिसके रेत
झुकने में अव्वल मगर, फूलें-फलें न बेंत







कटता शीशम देखकर, गुमसुम बूढ़ा नीम
धागा   चिटका   प्रेम   का,  रोया बैठ रहीम



 


मन का मोल चुका रही, कमल-पात की ओस
आँखों  भर   दौलत   मिली,  साँसों   भर   संतोष


जाने किसकी याद है, जाने किसकी बात
होठों पर कलियाँ खिलीं, आँखों में बारात


यह सशक्त विधा हिन्दी में अभिव्यक्ति की नैसर्गिक क्षमता को उसी तरह तराशती है जैसे उर्दू में शे'र। मज़ा लेकिन गज़ब है, दोनों का।

9 comments:

Himanshu Mohan said...

@Suman
करें शुक्रिया आपका, ऐसा पाठक होय
कवि को प्रोत्साहन मिले,स्मृति रखे सँजोय

स्वप्निल तिवारी said...

incredible.......... :) aaj kal doha bahut kam dikhta hai ..aap ke dohe nayapan bhi liye hain..aur bhaav se bhi bhare hain ...achha laga bahut aap ko padhna

Alpana Verma said...

जाने किसकी याद है, जाने किसकी बात
होठों पर कलियाँ खिलीं, आँखों में बारात
--ख़ास लगा..
-दोहे कम शब्दों में कह जाएँ ढेरों बात ..
सभी दोहे बहुत अच्छे लगे.

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा दोहे सभी..बधाई.

Atul Shrivastava said...

एक ही रचना में कई तरह के भाव। आपने तो दिल को सुकून दे दिया।
सबसे गहरे भाव लगे,
जाने किसकी याद है, जाने किसकी बात
होठों पर कलियाँ खिलीं, आँखों में बारात।
बधाई हो आपको।

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

हिमांशु भाई नमस्कार
जीतने मनमोहक चित्र उस से बढ़कर मनोहारी दोहे
बधाई स्वीकार करें बन्धुवर
आगामी समस्या पूर्ति में भाग लेने हेतु आमंत्रण अभी से स्वीकार करें
http://samasyapoorti.blogspot.com/

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत बढ़िया दोहे

Kailash Sharma said...

जाने किसकी याद है, जाने किसकी बात
होठों पर कलियाँ खिलीं, आँखों में बारात

बहुत सुन्दर...सभी दोहे बहुत सारगर्भित

anil kumar said...

bahut umda janabb