ज़माना पेश हम से ढंग से आए-
ज़माने को भी कोई तो बताए!
यही सोचे हैं बैठे सर झुकाए
वो देखें आज क्या तोहमत लगाए
उन्होंने कह दिया अच्छा सुख़न है
मेरे अश'आर ख़ुश-ख़ुश लौट आए
मुहब्बत की भी कोई उम्र तय है?
अगर अब है तो फिर आए-न-आए!
झरे दिन जैसे मुट्ठी रेत की, या
उमर-मछली फिसल दरिया में जाए
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………उमर-मछ्ली फिसल दरिया में जाए! |
12 comments:
वाह. बहुत अच्छी गज़ल.
"उन्होंने कह दिया अच्छा सुख़न है
मेरे अश'आर ख़ुश-ख़ुश लौट आए"
बहुत अच्छा लगा..
बहुत बेहतरीन अशआर...वाह...वा...दाद कबूल कीजिये...
नीरज
bahut khoob!!! nae likhne walon ko prerna dete rahen....
bahut khoob!!! nae likhne walon ko prerna dete rahen....
मन में रह रह के हूँक उठती है,
मन यूँ बढ़े नहीं, एक बच्चा हो जाये।
Kya baat sir ji.............barsaat men aap bhi Romantic ho gaye. Post bahut achh lagi sir.
बहुत दिनों बाद आया हूँ, गजल देखकर तबीयत खुश हो गयी. आप वाकई मेहनत कर रहे हैं यह दिखाई देता है मगर जितनी मेहनत होंनी चाहिए उतनी हो नहीं रही है या हो नहीं पा रही है. आपके पास इसका उत्तर होगा, कई बहाने होंगे---उम्र का तकाज़ा, दफ्तर की उलझनें, बच्चों की ज़िम्मेदारी, सेहत, शिक्षा और जाने क्या क्या.
फिलहाल गजल बहुत अच्छी है लेकिन मतला? कुछ न कहना ही बेहतर है, क्यों क्या ख्याल है?
यही सोचे हैं बैठे सर झुकाए
वो देखें आज क्या तोहमत लगाए
bahut hi sundar..
Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....
A Silent Silence : Naani ki sunaai wo kahani..
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आप सबका शुक्रिया।
@सर्वत साहब, आप आते नहीं थे तो कुछ भी ठेला जाता था. और बहाने नहीं बनाने कोई - बस कबूला जाना शेष है कि मैं गज़ल पर वाकई कभी कोई मेहनत शायद ही करता होऊंगा! मैं तो सहज - मनमाफिक जो बना कहते - सो कहा के निकल लेता हूं.
कभी ही कभी ऐसा होता है कि जो कहना है - वाह शेर नहीं बंध रहा - तो फिर जब कहा जाता है तबा ही कहता हूं. एक बार तो एक शे'र गज़ल बनने में पूरे तीन साल ले गया - और जिस दिन मतले के सिवा दूसरा शे'र कहा गया - उसी दिन पूरी गज़ल!
खैर, आपने टोका तो अभी मतला बदले देता हूं...
अब जब आएं तो देखिएगा.
मुहब्बत की भी कोई उम्र तय है?
अगर अब है तो फिर आए-न-आए!
बहुत खूब हिमांशु जी .... लाजवाब ग़ज़ल कही है और ये शेर तो कमाल का है ... मुहब्बत की कोई उम्र नही होती ...
बाऊ जी,
नमस्ते!
दूसरे, तीसरे और चौथे शेर में स्वाद आ गया!
बाकी के लिए, अंगूर खट्टे हैं! समझ में नहीं आये!
हा हा हा....
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अब टैक्स फ्री!
फिल्लौर फ़िल्म फेस्टिवल!!!!!
bahut sundar rachna !
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