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Tuesday 20 July, 2010

सब लोग ज़माने में सितमगर नहीं होते

यह भी मेरी एक पूर्व-प्रकाशित रचना ही है। यह अन्तर्जाल पर और एक साहित्यिक पत्रिका में प्रकाशित हो चुकी है। मैंने इसे इसलिए रख छोड़ा था कि जब कभी कुछ नया लेखन न हो पाए - तो ब्लॉग पर  तारतम्य बनाए रखने के लिए इसे आप की नज़रे-क़रम के हवाले किया जायगा। सो आज कर रहा हूँ:
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सब लोग ज़माने में सितमगर नहीं होते
क़द एक हो तो लोग बराबर नहीं होते


होते हैं मददगार - कई बार अजनबी
जिन लोगों से उम्मीद हो-अक्सर नहीं होते

उनको तलाश लेंगे करोड़ों के बीच हम
सारे गुलों के हाथ में पत्थर नहीं होते

क़ुदरत के इल्तिफ़ात से है शायरी का फ़न
सब शे'र कहने वाले भी शायर नहीं होते

हम ही नहीं ग़ज़ल से - हमीं से ग़ज़ल भी है
हम से दिवाने सारे सुख़नवर नहीं होते

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सितमगर: अत्याचारी
फ़न : हुनर, कला, योग्यता
इल्तिफ़ात : अनुग्रह, कृपा, प्रसन्नता (बहुवचन में)
सुख़नवर: बहुत अच्छा शायर, ग़ज़लसरा, ग़ज़लगो

11 comments:

वीरेंद्र सिंह said...

Himanshu ji aapne bahut achha kiya jo ye RACHNA yahna par phir lagaai hai. varna hame to ye padhne ko hi nahin milti.

vahut badiyaa hai. padhkar mazaa aaya. Actully, baar-2 padhni padti hai tab jaaker santushti hoti hai.

प्रवीण पाण्डेय said...

चाह का आकार कितना भी बढ़ा लेती,
ढाई होते, प्रेम के आखर नहीं होते।

नीरज गोस्वामी said...

उनको तलाश लेंगे करोड़ों के बीच हम
सारे गुलों के हाथ में पत्थर नहीं होते

क्या बात है वाह...वा...क्या बात है..बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने...बहुत बहुत बधाई...
नीरज

E-Guru _Rajeev_Nandan_Dwivedi said...

सब शे'र कहने वाले भी शायर नहीं होते !
सही है.
न कुछ नया रहे तो जो बहुत पुराना हो जाय, झाड-पोंछ के फिरो सुना दीजिये.
महफ़िल की रंगत तो सुने-सुनाये शेरो से ही होती है.

ZEAL said...

.
हम ही नहीं ग़ज़ल से - हमीं से ग़ज़ल भी है
हम से दिवाने सारे सुख़नवर नही...

जितनी भी तारीफ़ करूँ , कम होगी । Beautiful and mesmerizing couplets !
.

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι said...

ख़ूबसूरत ग़ज़ल।

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

बाऊ जी,
नमस्ते!
बेशक हम शायर नहीं, पर कहे बिना नहीं मानेंगे:
सुख़नवर मैं कहाँ अच्छा, कहाँ मुझमें कोई हुनर?
ये तेरा इश्क है हबीब, जो कामिल करता है मुझे!

श्रद्धा जैन said...

उनको तलाश लेंगे करोड़ों के बीच हम
सारे गुलों के हाथ में पत्थर नहीं होते

waah waah kitna yaqeen kitni ummeed

Rajeev Bharol said...

सभी अशआर एक से बढ़ कर एक.
उम्दा गज़ल.

Pravin Dubey said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति| धन्यवाद|

Vshayari said...

Very nice you can check this one also
shayari in Hindi