बहुत आसाँ है रो देना, बहुत मुश्किल हँसाना है
कोई बिन बात हँस दे-लोग कहते हैं "दिवाना है"
हमारी ख़ुशमिज़ाजी पे तुनक-अंदाज़ वो उनका-
"तुम्हें क्यों हर किसी को हमने क्या बोला बताना है?"
मशालें ख़ूँ-ज़दा हाथों में, कमसिन पर शबाबों सी-
"चलो जल्दी चलें,फिर से किसी का घर जलाना है"
ये लाचारी कि किस्सागो हुए हम फ़ित्रतन यारो-
हमारी हर शिकायत पर वो कहते थे "फ़साना है"
किसी की दोस्ती हो तो कड़ी राहें भी कट जाएँ
यहाँ हर सिम्त रिश्ते हैं जो अब मुश्किल निभाना है
मेरी मजबूरियों को तुम ख़ुशी का नाम मत देना
यहाँ तुम भी नहीं हो अब बड़ा मुश्किल ज़माना है
वो मंज़र झील के,जंगल के,ख़ुश्बू के,चनारों के!
इन्हें भी आज ही कम्बख़्त शायद याद आना है
23 comments:
मशालें ख़ूँ-ज़दा हाथों में, कमसिन पर शबाबों सी-
"चलो जल्दी चलें,फिर से किसी का घर जलाना है"
ये लाचारी कि किस्सागो हुए हम फ़ित्रतन यारो-
हमारी हर शिकायत पर वो कहते थे "फ़साना है"
वो मंज़र झील के,जंगल के,ख़ुश्बू के,चनारों के!
इन्हें भी आज ही कम्बख़्त शायद याद आना है
सुभान अल्लाह...हिमांशुजी...वाह...क्या गज़ल कही है इस बार...हर शेर बब्बर शेर है...कमाल है...वाह...कुछ सूझ ही नहीं रहा के प्रशंशा में क्या कहूँ...शब्द हीन कर दिया आपने...
नीरज
याद उनकी आये तो मान लीजिये,
बेपनाह तो है पर इन्तिहा क्यों।
Sir ji bahut khoob.....
mazaa aa gayaa.
I wish you a very Happy and Prosperous Deepawali.
बाऊ जी,
नमस्ते!
आनंद! आनंद! आनंद!
आशीष
---
पहला ख़ुमार और फिर उतरा बुखार!!!
bahut achi gazal ...
वाह! जितनी तारीफ़ की जाए कम है. इक़ से बढ़कर इक शे'र.
--
पंख, आबिदा और खुदा
मशालें ख़ूँ-ज़दा हाथों में, कमसिन पर शबाबों सी-
"चलो जल्दी चलें,फिर से किसी का घर जलाना है"
-गज़ब...बहुत ही गज़ब!!
खूबसूरत गज़ल ..
किसी की दोस्ती हो तो कड़ी राहें भी कट जाएँ
यहाँ हर सिम्त रिश्ते हैं जो अब मुश्किल निभाना है
बहुत खूब
मशालें ख़ूँ-ज़दा हाथों में, कमसिन पर शबाबों सी-
"चलो जल्दी चलें,फिर से किसी का घर जलाना है"
बहुत ख़ूबसूरत गज़ल..
एक सधी हुई ग़ज़ल जिसका हर शेर उम्दा है।
सभी अश्आर उम्दा हैं, बहुत अच्छा खजाना है
ग़ज़ल जो पेश की तुमने उसे हर दम निभाना है।
बहुत खूब सर जी.
किसी की दोस्ती हो तो कड़ी राहें भी कट जाएँ
यहाँ हर सिम्त रिश्ते हैं जो अब मुश्किल निभाना है!
भई वाह! बहुत ही शानदार!
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत आसा है रो देना ,बहुत मुश्किल हँसाना है..........एक बड़े फलसफे को बड़ी सादगी से
कह डाला आपने ..........बहुत-बहुत बधाई . ओमप्रकाश यती
Bahut bahut badhai
मुझे क्षमा करे की मैं आपके ब्लॉग पे नहीं आ सका क्यों की मैं कुछ आपने कामों मैं इतना वयस्थ था की आपको मैं आपना वक्त नहीं दे पाया
आज फिर मैंने आपके लेख और आपके कलम की स्याही को देखा और पढ़ा अति उत्तम और अति सुन्दर जिसे बया करना मेरे शब्दों के सागर में शब्द ही नहीं है
पर लगता है आप भी मेरी तरह मेरे ब्लॉग पे नहीं आये जिस की मुझे अति निराशा हुई है
बहुत सुन्दर ...सार्थक आनंद दाई ......
बहुत आसा है रो देना ,बहुत मुश्किल हँसाना है...
भ्रमर ५
प्रतापगढ़
bahut sunder
बेहद उम्दा ज़नाब
भाई क्या बात है , दिल की ज़मी को छू लिए
हर नाम पे नहीं रुकते , धड़कनो के भी उसूल होते है..।।
याद करते है तुम्हे तनहाई में,
दिल डूबा है गमो की #गहराई में,
हमें मत धुन्ड़ना दुनिया की भीड़ में,
हम मिलेंगे में तुम्हे तुम्हारी परछाई में.
very touchy lines...keep the great work going on...
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Nice bhai
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