tag:blogger.com,1999:blog-1529635353322643435.post4796615380444127970..comments2023-10-24T18:46:35.060+05:30Comments on सुख़नवर : शेर-ओ-शायरी का एक दीवाना: मुफ़्लिस के अंदाज़े-बयाँ में, अपना वज्हे-तरब देखा हैHimanshu Mohanhttp://www.blogger.com/profile/16662169298950506955noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-1529635353322643435.post-902576340057715112015-12-05T13:19:18.051+05:302015-12-05T13:19:18.051+05:30सभी भाइयो ने बहोत बहोत अच्छा लिखा है सभी भाइयो ने बहोत बहोत अच्छा लिखा है Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/01849845412616387934noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1529635353322643435.post-696415329481908032010-05-13T06:46:24.646+05:302010-05-13T06:46:24.646+05:30हमने आकर अब देखा है
बह्रो-वज़्न ग़ज़ब देखा है
ग़ज़ल क...हमने आकर अब देखा है<br />बह्रो-वज़्न ग़ज़ब देखा है<br /><br /><br />ग़ज़ल कुआँरे हाथों मेंहदी<br />रचने सा करतब देखा है<br /><br />... बहुत अच्छी, दिल को छू गयी, वाह ! ... इन शब्दों से से ही काम चलाता हूँ लेकिन आपकी गज़लों के लिए ये शब्द छोटे पड़ रहे हैं ... फिलहाल मेरे पास तो यही हैं ... अति सुंदर !Padm Singhhttps://www.blogger.com/profile/17831931258091822423noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1529635353322643435.post-5514929828563425372010-05-12T00:48:08.809+05:302010-05-12T00:48:08.809+05:30लीजिये कुछ साधने की कोशिश कर रहा हूँ मैं भी ---
...लीजिये कुछ साधने की कोशिश कर रहा हूँ मैं भी --- <br />गजल-ए-मकतब में इल्म के खातिर ,<br />मुसलसल फिरता हूँ दीवाना सा | <br />यहाँ आता हूँ,ठहरता हूँ और पाता हूँ ,<br />मिल गया मुझको कुछ खजाना सा | <br />........<br />शौक़ बहुत लोगों के देखे<br />हुनर मगर ग़ायब देखा है<br />.........<br />सुन्दर हैं गजल !Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1529635353322643435.post-70673378969506459482010-05-11T19:31:24.137+05:302010-05-11T19:31:24.137+05:30शौक़ बहुत लोगों के देखे
हुनर मगर ग़ायब देखा है
इशारा...शौक़ बहुत लोगों के देखे<br />हुनर मगर ग़ायब देखा है<br />इशारा मेरी तरफ तो नहीं?!?!?!<br />हा हा हा....<br />अच्छा लिखा है!सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼https://www.blogger.com/profile/11282838704446252275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1529635353322643435.post-37887626601071223282010-05-11T18:28:55.783+05:302010-05-11T18:28:55.783+05:30जी यह अंदाजे बयाँ ख़ास है हर शेर में.
मुफलिस साहब ...जी यह अंदाजे बयाँ ख़ास है हर शेर में.<br />मुफलिस साहब से तो ब्लॉग पर मिलता रहता हूँ. <br />शौक़ बहुत लोगों के देखे<br />हुनर मगर ग़ायब देखा है<br />(मैं, फिलहाल हुनर तरास रहा हूँ. )Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1529635353322643435.post-27235318831561595452010-05-11T13:41:52.807+05:302010-05-11T13:41:52.807+05:30दृष्टि छलकने को मर्यादित अर्थों में लिया जाये । कु...दृष्टि छलकने को मर्यादित अर्थों में लिया जाये । कुछ और न सोचा जाये । नहीं, वो अर्थ नहीं है । अब रहने दिया जाये, काहे हमको छलकाये दे रहे हैं ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1529635353322643435.post-8257221762135408422010-05-11T09:31:11.292+05:302010-05-11T09:31:11.292+05:30जब-तब हमने सब देखा है
मत पूछो क्या अब देखा है
आपक...जब-तब हमने सब देखा है<br />मत पूछो क्या अब देखा है<br /><br />आपकी पारखी दृष्टि बनी रहे और शब्द बन बहती रहे । नहीं नहीं, छलकती रहे ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1529635353322643435.post-44433296517605662442010-05-11T00:05:22.378+05:302010-05-11T00:05:22.378+05:30ओहो!! आहा! वाह! हर शेर बोल रहा है कि:
जब भी मोहन ...ओहो!! आहा! वाह! हर शेर बोल रहा है कि:<br /><br />जब भी मोहन लिखकर लाया<br />शब्दों का मतलब देखा है.<br /><br /><br />-बहुत खूब!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com